Beneficiaries involved in the silk production industry -IGNOU SOLVED ASSIGNMENT CIS-BLP001
Last updated : 16/01/2023
प्रश्न : रेशम उत्पादन उद्योग में सम्मिलित विभिन्न लाभार्थियों के बारे में लिखिए ।
बुनकर, आदि। स्वयं सहायता समूह और गैर-सरकारी संगठन, ये सभी अपने हाथ से
हाथ मिलाकर इस कृषि आधारित उद्योग हेतु ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिये
कार्य करते हैं।
क) कोसा उत्पादक :
वे जो व्यवसायिक रूप से बीज कोसा उत्पादन में जुड़े हुये हैं
बीज कोसा उत्पादक कहलाते हैं। उनको बीज कोसा गुणवत्ता के बारे में जागृत होना
चाहिये क्योंकि, अच्छी फसल प्राप्ति के लिये अच्छे बीज की आवश्यकता होती है।
सीमान्त कृषक प्रायः व्यवसायिक कोसा उत्पादन में व्यस्त रहते हैं जो कि कच्चे रेशम
उत्पादन के लिये कच्चे माल का कार्य करती है और कॉरपोरेट सेक्टर की आपूर्ती
करती है।
ख) बीजाकारक :
बीजाकारक वे लोग हैं जो रोग मुक्त रेशम अंड समूह को तैयार करने में व्यस्त रहते हैं। इनके द्वारा इस उद्योग की कुल रेशम अंड की मांग की
लगभग 70% पूर्ति की जाती है और शेष मात्रा की आपूर्ति केन्द्रीय रेशम बोर्ड और
सम्बन्धित राज्य सरकारों द्वारा की जाती है वास्तव में ये रेशम उद्योग की रीड की
हड्डी है।
ग) धागाकारक :
कोसा धागाकरण, धागाकारकों द्वारा यथार्थता से किये जाने वाला
कार्य है। उत्पादित धागे की गुणवत्ता धागाकारकों की दक्ष चाल पर निर्भर करती है।
फोकी कोसा की कताई एक दूसरी दक्षता है जिसके द्वारा कते हुए धागे को प्राप्त
किया जाता है। किसी भी तरह से धागाकारक और कताई कारक रेशम उद्योग में
महत्वपूर्ण भूमि को निर्वाह करते हैं।
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Beneficiaries involved in the silk production industry -IGNOU SOLVED ASSIGNMENT CIS-BLP001
घ) बुनकर :
वे कलाकार जो कि रेशम की बुनाई में व्यस्त रहते हैं और इच्छानुसार रेशम
को आकार देने में योगदान देते हैं बाजार के लिए अन्तिम उत्पाद को उत्पन्न करते
हैं।
ङ) स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) :
एसएचजी स्वयं सहायता समूह ग्रामीण
समाज में 10-20 सदस्यों के एक समूह के रुप में स्रोतों को पहचानकर लोगों की
व्यवसायिक निपुणता और बाजारों की उपलब्धता को ध्यान में रखकर बनाये जाते हैं।
वास्तव में यह ग्रामीण महिलाओं में सूक्ष्म विश्वास का प्रसार करने और उद्यमी
गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का सफल ढाँचा है। तकनीकी जानकारी के
अतिरिक्त स्वयं सहायता समूह और अल्प-ऋतु गरीब महिलाओं की
सामाजिक-आर्थिकी में तीव्र गति लाने के लिये समाधान है। वर्तमान में आठ लाख
से अधिक स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं।
च) गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) :
गैर-सरकारी संगठन पंजीकृत संस्था है जो
कि ग्रामीण लोक समाज की सेवा के दृष्टिकोण से योजनाओं को प्रोत्साहित करने
में व्यस्त रहती है। इस योजना में प्रोत्साहन अनुदान और कार्यशील पूँजी सहायता
सम्मलित हैं। नाबार्ड संस्था, गैर-सरकारी संगठनों को ग्रामीण उद्यमिता विकास
कार्यक्रमों को संचालित, निपुणता प्रशिक्षण, कारीगर पारस्परिक सहायतार्थ श्रमजीवियों
के संघ की स्थापना और ग्रामीण महिलाओं के लिये सर्वसाधारण सेवा केन्द्रों की
स्थापना के लिये समर्थन कर रहा है। आजकल, गैर-सरकारी संगठनों ने सभी
खण्डों के कार्यक्रमों में विविधता और सघनता पैदा की है जो कि ग्रामीण विकास से
सम्बन्धित है उसमें रेशम उत्पादन भी शामिल है ।
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